मीरा तो बैरागन हो गई बाली उमरिया में....
नाग बिष जो मंगवाए,
गले मीरा के डलवाए,
नाग फूल माला हो गई, बाली उमरिया में.....
जहर के प्याले मंगवाए,
घोल मीरा को पिलवाए,
जहर तो अमृत बन गए, बाली उमरिया में.....
सेज कांटो के बीछवाई,
उसी पर मीरा सुलवाई,
कांटे तो फूलों में बदल गए, बाली उमरिया में.......
छोड़ राणा की रजधानी,
पति की एक नहीं मानी,
मीरा तो वृंदावन बस गई, बाली उमरिया में......