सुन कान्हा जी की बांसुरी राधा तो हुई वनवारी

सुन कान्हा जी की बांसुरी राधा तो हुई वनवारी
राधा तो हुई वनवारी राधा तो हुई वनवारी
सुन कान्हा जी की बांसुरी राधा तो हुई वनवारी

मना मना के हर कोई हारा बात किसी की न मानी
श्याम के रंग में एसी रंग गी हो गई प्रेम दीवानी
रंगीली बई संवारी राधा तो हुई वनवारी

कान्हा की मुरली जब तटपर मीठी तान सुनाये
यमुना की लेहरे भी संग में झूमे नाचे गाये
हे उड़ गी सिर से चुनरी राधा तो हुई वनवारी

रंग केसरिया भागा सोहे मोर मुकत छवि न्यारी
होठो पे मुस्कान कटीली सूरत लागे प्यारे
वो सखियाँ संग नाच रही
राधा तो हुई वनवारी
सुन कान्हा जी की बांसुरी राधा तो हुई वनवारी
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