मुझे मिला रंगीला यार ब्रिज की गलिओं में,
गलिओं में भी कुंजन में,
मोसे कहे इत आओ सजनी ,
आकर मेरी बाह पकड ली,
मैं तो हो गी शरमो सार ब्रिज की गलियों में,
मुझे मिला रंगीला .........
कैसे कहू मोपे क्या क्या गुजारी,
श्याम सुन्दर की हो गई भवरी,
जब नैना हो गये चार ब्रिज की गलियों में,
मुझे मिला रंगीला .......
हर दम अब तो रहू मस्तानी,
लोक लाज की नी बिसरानी,
मैं तो गाऊ ख़ुशी के गीत, ब्रिज की गलियों में,
मुझे मिला रंगीला ......
मोहन एसी बंसी बजाई,
सब ने अपनी सूद बिसराई,
फिर नाच उठा संसार, ब्रिज की गलियों में,
मुझे मिला रंगीला ......