कोई लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई ।
ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई ॥
इस दुनिया में भाग्य के आगे चले ना किसी का उपाय ।
कागद हो तो सब कोई बांचे, कर्म ना बांचा जाए ।
इस दिन इसी किस्मत के कारण वन को गए थे रघुराई रे ॥
काहे मनवा धीरज खोता, काहे तू ना हक़ रोए ।
अपना सोचा कभी ना होता, भाग्य करे तो होए ।
चाहे हो राजा चाहे भिखारी, ठोकर सभी ने यहाँ खायी ॥