मानव किसका अभिमान करे दिन चढ़ते उतरते आते है,
किस्मत जो साथ नहीं देती,पत्थर भी उच्छल कर आते है,
जिसके दरवाजे देव सभी सलामी देने आते है,
किस्मत ने खाई पलटी पल में,पत्थर भी तीर जाते हे
कण,नाड,रावण,कुम्भकर्ण रण में रणधीर कहाते है,
उनकी सोने की लंका पर वानर भी फतेह कर जाते है
जिनके बाणों की वर्षा से महायोद्धा भी घबराते हे,
अर्जुन के जैसा महायोद्धा किन्नर बन समय बिताते हैं,
उपकार सबकुछ ईश्वर का, सच्चे सन्त यही बतलाते हे,
प्रपंच झूट कपट ने तजो,सांवरिया साथ निभाते हे,
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