कृपा रे थारी मोहे करुणाकर दीजो,
सेवा रे थारी मोहे करुणाकर दीजो,
मोहे करुणाकर दीजो,
सेवा रे थारी.....
हरपल सुमिरण सन्तोरि पूजा, दर्शन दे सुध लीजो,
कृपा रे थारी मोहे करुणाकर दीजो,
सेवा रे थारी.....
हर क्षण समता मानव सेवा, सरस सरल मन कीजो,
कृपा रे थारी मोहे करुणाकर दीजो,
सेवा रे थारी.....
घट-घट देखूँ थारो ही वासा, अर्पण भावने लीजो,
कृपा रे थारी मोहे करुणाकर दीजो,
सेवा रे थारी.....
पूज्या साध्वी देवस्वधा जी