हो सकल जगत के स्वामी सिरजन हारे
धर्म धुरी न धारण सेवक संता न तारन
आओ धरती पे ले अवतार ले।
हो सकल जगत................
द्वारिका रा नाथ पधराया अजमल की पुकार पे
राम रुणिचा थरपयो धनिया लीले रा असवार री
कन-कन में तीरथ थारी गूंजे जय ज्य कार रे
दुनिया दर्शन ने आवे साचो रेे दरबार र
बाबा के द्वारे आवे कोई खाली ना जावे
सब की सुनो पुकार रे ।
हो सकल जगत.......
सच्चाई री सांसा गुट रही दुखी धर्म की भांति रे
मिटे नीत मर्यादा मूलक में बंटे पाप की हांती रे
साप गोयेरा पल रया बाबा हर गली हर राज में
आग ही आग लगी है बाबा देश और समाज में
भूमि पर भार ह रे जीनो दुष्वार है रे
किया तू भुल्यो किरतार रे।
हो सकल जगत.......
हलिया दलिया दुष्ट दुषष्न चोग चुगया रावण है
दुखी दरोपता सीता सिसके बार खेत में खावन है
ठाकुर जी मंदिर में कोनी लेग्या राता चोर रे
जाग सवड़ा कयी सुन जग्या काई सुन जगया जोर रे
हेलो म्हारो सुन प्रभु जी आगे h थारी मर्जी
थाने उड़िके संसार रे।
हो सकल जगत......
गोकुल मथुरा गाया रो रही कंस कसाई क्रूर हैं
मिली मिलावट माखन माही बाल गुजर मजबुर है
नाग नाथ रा आंनद लाला जहर मिला जद जमना में
सारी धरती तरस रही है मुरली तान बजा पल में
बिलखे गी सारी बाथी आओ अर्जुन रा साथी
माधव मत कर जो इनकार री।
हो सकल जगत......
Write By:- Deepanshu Kathpal(दिपांशु अरोड़ा)
Mno.:-9782213145