रोते रोते आते है हंसते हंसते जाते है, करते पूरी आशा ओ सदा,
मन से बुलाले तू दिल में बिठाले तू दूर हो जाएगी विपदा,
रोते रोते आते है......
देखो ओ समाए हर प्राणी जगत के दिल में,
आते जब बुलाते जब, बुलाए कोई मुश्किल में,
गज को बचाया है अपना बनाया है, हुए फिर वहां से विदा,
मन से बुलाले तू दिल में बिठाले तू दूर हो जाएगी विपदा,
रोते रोते आते है......
आया जो शरण में उसका उद्धार किया है,
नैया उस कन्हैया ने कितनों की पार किया है,
पार लगाना तू दर्श दिखाना तू दुनियां से जब हूं विदा,
मन से बुलाले तू दिल में बिठाले तू दूर हो जाएगी विपदा,
रोते रोते आते है......
डॉ सजन सोलंकी