कोई आया सखी फुलवारिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में......
सावला एक है एक गौरा बदन,
देख कर भी ना अब तक भरा मेरा मन,
ऐसा रूप नहीं देखा उमरिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में,
कोई आया सखी फुलवारिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में......
कोई कहता है दशरथ दुलारे है वो,
यज्ञ रक्षा में असुरो को मारे है वो,
तीर बांधे है कसकर कमरिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में,
कोई आया सखी फुलवारिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में......
शादी उनसे होती हर हाल में,
आया करते हमेशा ससुराल में,
नैना डूबे रहते उनकी लेहरिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में,
कोई आया सखी फुलवारिया में,
जैसे जादू है उनकी नजरिया में......