सृष्टि तके सारी राह प्रभु,
धरती पर आना कब होगा,
इस पथ से भटकती दुनिया को,
इस पथ से भटकती दुनिया को,
प्रभु राह दिखाना कब होगा,
प्रभु राह दिखाना कब होगा।।
केवट आँखों में नीर भरे,
गंगा तट देखे बाट तेरी,
उस भोले भाले भक्त से फिर,
प्रभु चरण धुलाना कब होगा,
सृष्टि तके सारी राह प्रभु,
धरती पर आना कब होगा।।
बनकर अहिल्या हर पत्थर,
प्रभु राह तके बैठे बैठा,
उन जादू भरे चरणों का प्रभु,
वो श्पर्श कराना कब होगा,
सृष्टि तके सारी राह प्रभु,
धरती पर आना कब होगा।।
सरयू जो प्रभु नित करती थी,
तेरे स्पर्श पावन चरणों का,
उस बूढी हो चुकी सरयू के,
आँचल में नहाना कब होगा,
सृष्टि तके सारी राह प्रभु,
धरती पर आना कब होगा।।
है पिता आज भी दशरथ से,
पर बेटा राम सा कोई नहीं,
माँ बाप है रूप बिधाता का,
आकर के बताना कब होगा,
सृष्टि तके सारी राह प्रभु,
धरती पर आना कब होगा।।
रावण से लोग है सुखी प्रभु,
है साधु संत दुखी जग में,
आकर के प्रभु लाचारों को,
दुष्टो से बचाना कब होगा,
सृष्टि तके सारी राह प्रभु,
धरती आना कब होगा.......