आरती उतारूँ तेरी गौरा जी के लाल
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गणाधीश, गजानन, दीन दयाल ॥
आरती, उतारूँ तेरी, गौरा माँ के लाल ॥
लम्बोदर, चतुर्भुज, लीला तेरी न्यारी है ।
वक्रतुण्ड, महाकाय, मूसे की सवारी है।।
तेरे भक्त, भर भर लाएं...हो... ॥ लड्डुयन के थाल...
आरती, उतारूँ तेरी, गौरा माँ के लाल ॥
रिद्धि सिद्ध, पत्नी तेरी, शुभ लाभ दो है सुत ।
तेरी पूजा, करने वाला, हो जाएं पापों से मुक्त ॥
जय गणेश, बोलो कटे...हो... ॥ संकटो के जाल...
आरती, उतारूँ तेरी, गौरा माँ के लाल ॥
ब्रम्हा विष्णु, रुद्र सबसे, पहले पूजा तेरी है ।
कार्य सिद्ध, हेतु तेरी, कृपा भी जरूरी है ॥
शंख बाजे, घण्टा बाजे...हो... ॥ झाँझरो की ताल...
आरती, उतारूँ तेरी, गौरा माँ के लाल ॥
नेत्रहीन, नेत्र पावै, बलहीन पावै बल ।
रोग ग्रस्त, नमन करे, रोग जाएं सारे टल ॥
बुद्धि के, विधाता तुझे...हो... ॥ ध्यावे संसार...
आरती, उतारूँ तेरी, गौरा माँ के लाल ॥
माटी से, बनाया माँ ने, प्रथम तुझे पूजा है ।
तेरे जैसा, एकदन्त, देव नहीं दूजा है ॥
नंदी ध्यावे, मूषक ध्यावे...हो... ॥ ध्यावे संसार...
आरती, उतारूँ तेरी, गौरा माँ के लाल ॥ ॥