गौरी सुत गणराज पधारों, बीच सभा सब छोड़ के

1 भा गया मुझे द्वार तुम्हारा,
आया हाथ को जोड़ के,
गौरी सुत गणराज पधारों,
बीच सभा सब छोड़ के ।।

2 द्वार तुम्हारे लेने आया,
कीर्तन में अब रस भरदो,
मेने सब भक्तों को बोला ,
गणपति जी की जय बोलो,
(सब उठाए हाथो को अपने,
दोनों हाथ को जोड़ के,) 2
गौरी सुत गणराज पधारों,
बीच सभा सब छोड़ के।।

3 शिव गौरा के तुम गणेशा,
इतना मुझे भी बता दो तुम,
कैसे तुम को सब रिझाते,
वैसा मुझे बता दो तुम,
(अबकी नम्बर मेरा आया,
स्वागत करू सब छोड़ कर,) 2
गौरी सुत गणराज पधारों,
बीच सभा सब छोड़ के।।

4 मै ना जानू पूजा थारी,
आस लगाए थारे कीर्तन में,
दर्शन देने आओ देवा,
मेरा सब कुछ अर्पण है,
(नाम करा दे इस ललित का,
(भरी सभा के बीच में ) 2
गौरी सुत गणराज पधारों,
बीच सभा सब छोड़ के।।

5 करदो तुम अरदास गौरा को,
कीर्तन में शिव गौरा आएंगे
चौखट पे तेरी आने वाले,
सब दिन मौज उड़ाएगे,
(कीर्तन में अब बरसेगा रस
कीर्तन में आओ सब छोड़ के,) 2
गौरी सुत गणराज पधारों,
बीच सभा सब छोड़ के।।

भा गया मुझे द्वार तुम्हारा,
आया हाथ को जोड़ के,
गौरी सुत गणराज पधारों,
बीच सभा सब छोड़ के ।।

Singer and । yrics :- ललित माली इन्दौर
Emai। ID:- muwa। a.। a। it@gmai। com
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