fikr nahi hai subho sham ki main joganiya Sai Ram ki
फिक्र नहीं है सुब्हो शाम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(1)
साईं संध्या में जब आऊं
सबसे पहले जोत जगाऊ
नतमस्तक फिर मैं हो जाऊं
साईं चरणों में फूल चढ़ाऊ
चिंता नहीं है किसी काम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(2)
साईं की धुन में रम जाती हूं
साईं आरती करवाती हूं
मन की मुरादे जब पाती हूं
साईं संध्या करवाती हूं
लगन है मुझको शिरडी धाम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(3)
साईं लगन में लग जाती हूं
नीर नयन से बरसाती हूं
शिरडी जब भी मैं जाती हूं
साईं का दर्शन कर आती हूं
छवि है जिन में राधे श्याम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(4)
साईं का रंग ऐसा भाया
"सोनू" ने तन मन को रगांया
बाबा ने मुझको अपना बना के
मेरे मन का फूल खिलाया
याद करूं मैं मुक्ति धाम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
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लेखक : सोनू दास