मुझे आप ने बुलाया यह करम नहीं तोह क्या है,
मेरा मरतबा बढ़ाया यह करम नहीं तोह क्या है,
मै गमो की धूप में जब तेरा नाम लेके निकला,
मिला रेहमतो का साया यह करम नहीं तोह क्या है,
मुझे आप ने बुलाया......
मेरा वक्त जिकत करके मेरी रूह में उतर कर,
मेरे दिल को दिल बनाया ये कर्म नही तो क्या है,
मुझे आप ने बुलाया.............
मेरी लज्तो को बे मन मिले आपके सहारे,
मैं गिरा तू खुद उठाया ये कर्म नही तो क्या है,
मुझे आप ने बुलाया.......
मुझे जब भी ग़म ने घेरा मेरा साथ सब ने छोडा,
च में मदद को आया यह करम नहीं तोह क्या है,
मुझे आप ने बुलाया.......
मै भटक के रह गया था कही और बेह गया,
मुझे रास्ता दिखाया यह करम नहीं तोह क्या है,
मुझे आप ने बुलाया.......
येह शराफ बड़ा शराफ है तेरा रुख मेरी तऱफ है,
मुझे नातख्वां बनाया यह कर्म नहीं तोह क्या है,
मुझे आप ने बुलाया.......