श्री हरिदास का बिहारी,निद्धिवन में नाचता है


तरज़-तेरे नाम का दिवाना,तेरे घर को ढूँढता है

श्री हरिदास का बिहारी,निद्धिवन में नाचता है I
उसके नाम का तरानां,त्रिभुवन में गुंजता है
श्री हरिदास....

1.मात्थे पे तिलक बिराज रहा,कानंन में
कुंडल साज रहा ऐसा रूप का सलोंना,
मेरे मन को खिंचता है
श्री हरिदास का बिहारी,निद्धिवन में नाचता है I
उसके नाम का तरानां,त्रिभुवन में गुंजता है
श्री हरिदास....

2.पुरे वो करता अरमान जो,भगती का देता
वरदान वो वो देता है दाता,दिल जो भी मांगता है
श्री हरिदास का बिहारी,निद्धिवन में नाचता है I
उसके नाम का तरानां,त्रिभुवन में गुंजता है
श्री हरिदास....

3.दुनिया नें मुझको टुकरा दिया,द्वारे पे तेरे
रमंण आ गया चरणों में अब जगादो,
इस जग से क्या वासता है
श्री हरिदास का बिहारी,निद्धिवन में नाचता है I
उसके नाम का तरानां,त्रिभुवन में गुंजता है
श्री हरिदास....

श्री हरिदास निष्काम संर्कींतन
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