मेरे तन से प्राण निकले
तेरा नाम जपते जपते..
जब सन्मुख मौत खड़ी हो
मेरे सिर पर मोर छड़ी हो
मैं तुझ में जा समाओं
तेरा नाम जपते जपते
फूलों सी छवि हो तेरी
जब आंखें बंद हो मेरी
मेरे आंसू हो तुझ पे अर्पण
तेरा नाम जपते जपते
जाने कि हो जब तैयारी
बस है इक अर्ज हमारी
मेरी अर्थी जो उठाये
तेरा नाम जपते जपते
स्नेही बंधु की है अर्जी
आगे बस तुम्हारी मर्जी
यम पथ पर जब गमन हो
तेरा नाम जपते जपते
आशीष सागर स्नेही बंधु