हे प्रभु राह दिखाओ अब तो
मंझधार में नईया डूब रही
पतवार बनो भव पार करो
हमें राह ना कोई सूझ रही
तुम बिन अब कोई सहारा नहीं
आता कोई नजर किनारा नहीं
सर पटक पटक कर हार गया
प्रभु तुम बिन कोई हमारा नहीं
संसार का मोह नहीं अब तो
बस शरण तुम्हारी मिल जाए
मन भटक रहा है भंवर बीच
तुम बिन कोई तारणहार नहीं