मिट्टी हमारी है मूर्ति तुम्हारी है ।

तर्क- ये प्रार्थना दिल की बेकार नहीं होगी
पूरा है भरोसा मेरी हार नहीं होगी


धरती पर ऐसा मिलन हुआ पहली बारी है
मिट्टी हमारी है मूर्ति तुम्हारी है

मिट्टी हमारी श्याम ऐसी ख़ुशक़िस्मत है
हर मिट्टी पर बाबा यें पर गई भारी है

इस भक्त की मिट्टी से मेरे श्याम बने हो तुम
हर मूर्ति से ज़्यादा ये मूर्ति प्यारी है

इतनी तसल्ली है तुझमें समा गये हम
ऐसा बनने ख़ातिर सारी दुनिया हारी है

जब तक है मेरा जीवन इसे रोज़ निहारु है
रहे आख़ियाँ सलामत हो तेरी ज़िम्मेदारी है

मिट्टी के जैसे ही मेरे प्राण समा जाए
मर्ज़ी तुम्हारी है अर्ज़ी हमारी है

मिट्टी को अपनाया मुझको भी अपना लो
जो कर ना किया मैंने अब तेरी बारी है

मेरे प्राण निकले तो गोद पे रहे
सपना हमारा है इच्छा तुम्हारी है

सब कुछ किया हमने तेरे बनने ख़ातिर
बनवाड़ी माफ़ करो मेरी होशियारी है

मेरे मिट्टी से बना तुम्हें घर पै रखूँगा
तुम पर मेरे सावरिया मेरी हकदारी है

धरती पर ऐसा मिलन हुआ पहली बारी है
मिट्टी हमारी है मूर्ति तुम्हारी है।
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