भक्तो ने झूला डाला झूले पे खाटू वाला
बैठा बैठा मुस्काये हमे झाला दे बुलाया
वो कहता है डोर हिलाओ तुम
मुझको तो झुलाओ तुम
( 1)
सावन का महीना रिमझिम बरशे पानी
आया है खाटू से चलकर शीश का दानी
भक्तो ने इसे बुलाया
ये प्रेम देखकर आया
ये कहता है डोर हिलाओ तुम
मुझको तो झुलाओ तुम
(2)
धीरे धीरे प्रेमी डोरी हिला रहे है
इतने खुश है सारे प्रभु को झूला रहे है
जब कोई कभी रुक जाता मेरा श्याम घणी फरमाता
वो कहता है डोर हिलाओ तुम
मुझको तो झुलाओ तुम
(3)
मस्ती में बैठा है बडॉ मजा है आता
कभी कभी झूले में खुद ही जोर लगाता
ये उचक उचक कर झूले,
लगता है छत को छूले
ये कहता है डोर हिलाओ तुम
मुझको तो हिलाओ तुम
(4)
सावन का झूले का ये सौकीन पुराना
मन में न राह जाए इतना इसे झुलाना
देखो तुम गौर करो न
देखो मेरा श्याम सलोना
वो कहता है डोर हिलाओ तुम
मुझको तो झुलाओ तुम