हर ग्यारस पे मुझको मेरे श्याम बुलाते हैं

हर ग्यारस पे मुझको मेरे श्याम बुलाते हैं,
वो हाथ पकड़ मेरा खाटू ले जाते हैं,

जिसकी खातिर दुनिया, दिन रात तरसती है,
वहां अमृत की बरखा, हर रोज बरसती है।
(वो रहमत के प्याले )॥,भर भर के पिलाते हैं,
वो हाथ पकड़ मेरा.........

मुझे ठोकर लगते ही, वो व्याकुल हो जायें,
कुछ काम करे ऐसा, होठों पे हंसी आए।
(वो मेरे मन की बातें)॥,पहचान जाते हैं,
वो हाथ पकड़ मेरा.........

दिलदार दयालु है, इक पल में पिघल जाए,
इक बार नज़र डालें, किस्मत ही बदल जाए।
(ऐ "पाल" तेरी कश्ती) ॥ वो पार लगाते हैं,
वो हाथ पकड़ मेरा.........

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