श्याद तेरे पास नहीं कुछ देने को सरकार,
रे मैं तो सोच के आया था की तू है लखदातार,
रे कब से अर्जी लेके घुमु करता न सुनवाई तू,
मेरी अर्जी बता दे तुम्हे देती नहीं दिखाई क्यों,
मेरे मिलने जुलने वाले सभी हसी उड़ाते है,
क्यों खाटू में जाता हु आपस में बतलाते है,
मैं भी अब ये सोचता हु अब आना है बेकार,
मैं तो सोच के आया था की तू है लखदातार,
सोने के शिगाशन पे तू बैठ के हुकम चलता,
हम रोये लाचारी में तू छपन भोग उडाता,
जाने कैसे लोगो का तू बिगड़ा काम बनाता,
श्याद तेरा पिछले जन्मो का है उनसे नाता,
या फिर मोटे से है वो या तेरे रिश्ते दार,
मैं तो सोच के आया था की तू है लखदातार,
खुलम खुला साफ़ बता दे क्या है मन में श्याम देना है देदे वर्ण मुझको और है काम,
खाली हाथ जो मैं लौटा होगी तेरी बदनामी ऐसी कौन सी बात है तुझमे महिमा सब ने मानी,.
हाथ जोड़ विनती करता शर्मा वार्म वार,
मैं तो सोच के आया था की तू है लखदातार,