दोहा - पवन तने संकट हरन मंगल मुर्ति रुप
राम लखन सीता सहित हदय बसहु सुर भूप
तरज - सावरे से मिलने का सतसग बहाना है
राम के सेवक हैं जो , वो राम का ध्यान धरे
भगतो की झोली ये , हनुमत ही तो भरे
रावण की लंका तो हनुमत ही जलाये थे
पर्वत उठाकर तो ये लखन जीलाये थे
हमारी हर विपदा को बालाजी दूर करे
भगतो की झोली ये , हनुमत ही तो भरे
बिच सभा में जब माला ये तोङी थी
राम लखन सीता की दिखाई जोङी थी
हमारे कष्टो को मारुति दूर करे
भगतो की झोली ये , हनुमत ही तो भरे
Lyrics - । ucky Shuk। a