तेरा ही भरोसा भारी भानुदुलारी,
जय हो जय हो जय हो तेरी बरसाने वारी।
तू ही मेरी मैं भी तेरी कह श्रुति चारी,
पुनि क्यों भुलाया मोहिं मेरी महतारी।
माना मैं बुरा हूँ अति हूँ तो तेरा प्यारी,
तेरी लाज जाय एइ मोहिं सोच भारी।
तू तो है 'कृपालु' बिनु हेतु सुकुमारी,
पुनि क्यों कृपा में देरी एतिक प्यारी।
पुस्तक : ब्रज रस माधुरी-3
पद संख्या : 93
पृष्ठ संख्या : 140**
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