पद : ब्रज होरी में रंग रस बरसे, उड़े अबीर गुलाल
होरी में रसिया धमार की, मचती खूब धमाल
ग्वाल गोपियां नाचें गावें, बजे ताल पे ताल
कहे "मधुप" होरी उत्सव में, बजती डफ कमाल
बाजी बरसाने डफ बाजी रे, होरी आई रे
सारी नगरी राधा रंग राची रे, होरी आई रे
आई बसंत बहार है आई, ऊंची अटारी बजी शहनाई
सखियों संग राधा नाची रे, होरी आई रे
ढोल नगाड़े बाज रहे हैं, होरी जयकारे गाज रहे है
हर गोपी लठ से साजी रे, होरी आई रे
साज रहें हैं समाज होरी के, गाज रहे हैं धमार होरी के
रसिकों से महफिल साजी रे, होरी आई रे
चलो "मधुपहरि" होरी मनावें, युगल हरि का दर्शन पावें
फागुन की रंगीली रुत लागी रे, होरी आई रे