चले विप्र हरी नाम को जपते दीनानाथ के धाम।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।
राधे श्याम राधे श्याम , राधे श्याम राधे श्याम।।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।।
डगमग डगमग देह डोलत है , रही रही पांव पिराय ।
द्वारिका पूरी कितनी दूर है , कुछ भी समझ न आय।।
कभी प्रिया के प्रेम में पागल , कभी है जपते नाम ।।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।।
दिनों के दुख हरने वाला कण - कण में तू समाया ।
कहीं धूप है कहीं है छाया , अद्भुत तेरी माया ।।
भक्ति भाव से जो भी भजता , करते उसके काम ।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।।
चले विप्र हरी नाम को जपते दीनानाथ के धाम ।
जपते राधे राधे श्याम , जपते राधे राधे श्याम ।।