इतिश्री राधा उत गोपाल, होरी में धूम मचायो रे 
धूम मचायो रे, कोई भी बच ना पायो रे !!
ग्वाल सखा संग कृष्ण मुरारी 
गोपिन संग श्री राधा प्यारी 
ग्वालो की ढालो पे गोपिन रंग बरसायो रे 
इतर अबीर गुलाल पटारी 
भर भर रंग पिचकारी मारी
ऐसा बरसा रंग लगे यू सावन आयो रे 
श्री राधा बरसाने वारी 
मोर मुकुट छीनी पिचकारी 
पकड़ कन्हैया को गोपिन ने नार बनायो रे 
देखो री ब्रज होरी लीला 
लाल हरा कोई नीला पीला 
“ मधुप “युगल छवि का दर्शन कर मन हरसायो रे