चाहे लोक बोलियाँ बोले

मैं ता श्याम मनाना नि चाहे लोक बोलियाँ बोले,
मैं ता वाज न आना जी चाहे लोक बोलियाँ बोले,
मैं वृन्धावन बस जाना जी चाहे लोक बोलियाँ बोले

लोकी मेनू रोगन कहंदे मेनू रोग न कोई,
जद दा देखेया श्याम मुरारी मैं ता रोगन होई,
एह ता रोग पुराना नी चाहे लोक बोलियाँ बोले

रोके मैंने दुनिया सारी रोक रहे घर वाले,
प्रीत कदी भी कैद न हुंडी लख लगा लो ताले,
ताले तोड़ के जाना जी चाहे लोक बोलियाँ बोले

छड सारे मैं रिश्ते श्यामा आई तेनु रिजावन,
टबर सारा छड आई पीछे तेनु रंग लगावन,
तेरे रंग रंग जाना जी चाहे लोक बोलियाँ बोले

जद दा देख्या श्याम मुरारी मैं ता रोगन होई,
ओहदे रंग विच रंग के मेनू लोड किसे दी न होई,
मैं ता दर्शन पाना नि चाहे लोक बोलियाँ बोले

सास नन्द मोहे पल पल कोसे और रहे गरवाला,
मार पीट के अंदर कर दियां बाहर लगा दियां ताला,
मैं ता नही गबराना नि चाहे लोक बोलियाँ बोले
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