कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में,
तेरे मथुरा में, तेरे गोकुल में,
तेरे सोहने सोहने नजारों में,
कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में॥
तेरी जमुना की यह जो धारा है,
लाखों पापियों को इसने तारा है,
कैसा जादू भरा इन लहरों में,
कान्हा खो गया मेरा दिल.....
तेरी बंसी की धुन जो बजती है,
सारी सखियों को पागल करती है,
कैसी मस्ती भरी इन तानों में,
कान्हा खो गया मेरा दिल.....
तेरे मंदिरों में चैन मिलता है,
यह फूल मुरझाया खिलता है,
कैसा आनंद भरा तेरे दर्शन में,
कान्हा खो गया मेरा दिल....
तेरे भक्तों का बुलावा आता है,
ये मन पंछी उड़ जाता है,
कैसा आनंद भरा तेरे सत्संग में,
कान्हा खो गया मेरा दिल.....