जिसके दिल को प्रभु प्रेम भाता नहीं

भजन : जिसके दिल को प्रभु प्रेम भाता नहीं

जिसके दिल को प्रभु प्रेम भाता नहीं,
ऐसे लोगों से मुझको तो मिलना नहीं ।
जिस जगह ईश का ध्यान होता नहीं,
उस जगह में हमें तो ठहरना नहीं ।।

हर कली हर घड़ी में बसे ईश हैं,
प्यारे दिल में सभी के वही ईश हैं ।
जिसने माना जहाँ प्रभु वहीं बस गये,
ऐसे भक्तों से हमको मुकरना नहीं ।।
                     जिसके दिल को....
प्रेम करते सभी हैं सभी से मगर,
ईश से प्रेम करने से जाते मुकर ।
जिसके मन में कभी प्रेम आता नहीं,
ऐसे जन के मुझे पास रहना नहीं ।।
                     जिसके दिल को....
कामनाओं में जो भी फँसे लोग हैं,
याद करलो उन्हें सारे ही रोग हैं ।
जिसके मन से कभी काम जाता नहीं,
ऐसे लोगों में तू कान्त रहना नहीं ।।
                     जिसके दिल को....

रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।
स्वर : आलोक जी ।

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