तुम राधा रमण हो मेरे मैं दास हूं तेरा कब घर मेरे तुम आओ जहां लगता है तेरा पेहरा


दोहा -  भक्तआधीनं, दीनदयालं, राधारमणं हरे हरे ॥
          भक्तवत्सलं रसिकनरेशं, राधारमणं हरे हरे ।।

( तर्ज  - तुम जो चले गये तो होगी बड़ी ख़राबी )

तुम राधा रमण हो मेरे मैं दास हूं तेरा
कब घर मेरे तुम आओ जहां लगता है तेरा पेहरा

दुनिया से हार कर में तेरी शरण में आया
तरसती है जिससे दुनिया उनका प्यार पाया
जब तक तुम ना मिले थे होता था निराशा चेहरा

कब घर मेरे तुम आओ जहां लगता है तेरा पेहरा

अब तुम मिल गए हो खुशियां ये मिल गई है
सूखी हुई थी बगिया देखो ये खिल गई है
तेरे दर पर मेरा यु ही लगता रहेगा डेरा

कब घर मेरे तुम आओ जहां लगता है तेरा पेहरा

तुमको ही मान अपना लकी है दर पे आया
तेरी छवि को उसने हरपल दिल में  बसाया
तुम जो मुस्कुरा दो कटे सारा क्लेश मेरा

कब घर मेरे तुम आओ जहां लगता है तेरा पेहरा

Lyrics -  lucky Shukla

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