प्रभु दास समझ अपना लेना

हम छोड़ चुके हैं माया को,
प्रभु दास समझ अपना लेना ।
इस जग की माया-मोह मुझे,
भरमाए कभी अपना लेना ।।

प्रभु पाप हुआ होगा हमसे,
नादानी में तो माफ करो ।
हमको है ज्ञान नहीं कुछ भी,
प्रभु ज्ञान की ज्योति जला देना ।।
हम छोड़....

कुछ समझ नहीं पाया हमने,
कैसे प्रभु तुम मिल पाते हो ?
जिन्दा हूँ तभी तक आ जाना,
मरने पे तू दर्शन मत देना ।।
हम छोड़....

अब पाप बहुत बढ़ता जाता,
बतलाओ प्रभु कब आओगे ?
विनती करता है कान्त प्रभु ,
एक बार झलक दिखला देना ।।
हम छोड़....

भजन रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज
स्वर : आलोक जी

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