करुणामई श्यामा बाट निहारती।

करुणामई श्यामा बाट निहारती।
करुणामई श्यामा बाट निहारती।

कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।

बीते ना उमर यूंही झूठी जग आस में।
दौड़ चले हम कुंवरी राधिका के पास में।
जन्मों की बिगड़ी पल मे भानुजा संवारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।

अंश है सभी हम यूं तो नंदजू के लाल के।
विमुख हुए ज्यों सखी पड़े मुख काल के।
जीवन मरण से केवल कुंवरी उबारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।

अधमों को तारे अलग ही रीति से।
मिलन कराती अपने सांवरे से मीत से।
महल के द्वारे पतितों को सत्कारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।

होगे निराश जब तुम जग की नातेदारि से।
प्रीत मिलेगी सांची बरसानेवारी से।
माधुरी रंगीली पे निज प्राणन वारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।

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