खोलो दया का द्वार, मईया जी अब,
खोलो दया का द्वार ।
कई जन्मो से भटक रहा हूँ,
मत करना इंकार ।
मईया जी अब खोलो दया का द्वार...
तेरा मेरा साथ पुराना, तूँ दाती मैं भिखारी ।
प्यार की भिक्षा डाल दो अब तो,
खड़ा हूँ झोली पसार ।
मईया जी अब खोलो दया का द्वार...
मत ठुकराना दीन को मईया,
पतित हूँ फिर भी तेरा ।
या फिर कह दो पतित का तूने,
किया नहीं उद्धार ।
मईया जी अब खोलो दया का द्वार...
तुम भी अगर माँ ठुकरायोगी ,
मिलेगा कहाँ ठिकाना ।
सब का आसरा छोड़ के मईया,
आया मैं तेरे द्वार ।
मईया जी अब खोलो दया का द्वार...
करुणा सागर कहलाती हो,
करो कृपा अब मईया ।
हाथ पकड़ लो अब तो मेरा,
नाव पड़ी मझधार ।
मईया जी अब खोलो दया का द्वार...
अपलोडर- अनिलरामूर्ति भोपाल