गुरु ज्ञान कई गेले पडिया

सुण मारा मनवा सांची कड़ियां!
गुरु ज्ञान कई गेले पाडिया!!

गुरु ज्ञान की संकरी सेरिया !
वॉ सेरिया में कोईक बडिया!!

हजारा में हरो मती भाई!
लाख में कहीं दौड़ चढ़िया !!

खाबो छावे लड्डू और पेड़ा !
रद के आडा ताला जुड़िया!!

पच पच मरिया मनक मोकला !
धरती पे कई जनम धरियां !!

आठ फेर समदा रेवे !
प्यासा कई मगरमंच पडिया!!

नहीं तोप तलवारा बाजी !
आणि धार कोई सुरा लडिया!!

फेरिया तू तो निर्भय साधु!
खर धर खैरा खम्भ खड़िया!!

भजन गायक – चम्पा लाल प्रजापति