म्हणे भी भुला ले बाबा थारी रे नगरिया,
महरो तरसे है मन नाचू हो के मगन,
महारा सांवरिया...
गिन गिन काटू दिन मैं सांवरिया जाग जाग के रात हो,
जी चाहवे आ जाऊ मैं उड़ के खाटू इब की साथ हो,
घूम घूम के महलो देखू नाचू नो नो ताल हो,
चंग बजे रे गूंजे काना में मुरलिया,
महरो तरसे है मन..........
आनो चाहू खाटू में बाबा बिठा बिठा कर चोग हो
मैं तो हारू ओर सांवरियां तू ही बिठा संयोग हो,
मनशा हो री मंजिल दोहरी तू तो भुलाले संवारा,
बीत ना जावे बिन मिले ये उमरिया,
महरो तरसे है मन..........
ओ बाबा थारा दर्शन करन की पैदल चल के आशा हो,
मन चाहे ठासू पर श्याम बाबा मनरे हाल सुना सा हो,
झूठी कुहनी प्रीत ये हमारी प्रीत की रीत निभा जाओ,
बड़ी ही कठिन है संजू प्रेम की डगरीइया,
महरो तरसे है मन..........