कण कण में मईया समाई है
कण कण में, मईया समाई है,
नवरात्रों में, घर घर आई है ॥
ऊँचे, ऊँचे रे पर्वत, तेरा भवन निराला ।
मईया, सोहे तुम्हें, लाल फ़ूलों की माला ॥
तेरी, लाल चुनर, बड़ी भाई है,
नवरात्रों में, घर घर आई है ।
कण कण में, मईया समाई है...
जगमग, ज्योत जगे, तेरा भवन सजे ।
जयकारे, लगे, तेरे भक्त नचे ॥
तूँ ही दुर्गा, तूँ महाँ माई है,
नवरात्रों में, घर घर आई है ।
कण कण में, मईया समाई है...
भर दे, झोली तूँ ख़ाली, मै तो, आई दर सवाली ।
मेरे, बगियन की, मईया तूँ ही माली ॥
ओ माँ हम, तेरी परछाई है,
नवरात्रों में, घर घर आई है ।
कण कण में, मईया समाई है...
भक्त, करें पुकार, मईया सुन लो एक बार ।
और, मांगू ना कुछ, बस चाहिए तेरा प्यार ॥
यहीअर्ज़ी, हमने लगाई है,
नवरात्रों में, घर घर आई है ।
कण कण में, मईया समाई है...
॥जय माता दी ॥
अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल