जा जा रे छलिया कान्हा तू बड़ा चोर है ।
तू बड़ा चोर है और बरजोर है ॥
प्रेम जो करेगा तुझसे, वो धोखा खायेगा ।
घर परिवार सब कुछ लुट जायेगा ॥
तू है लुटेरा कान्हा और चितचोर है ।
जा जा रे छलिया कान्हा तू बड़ा चोर है ॥
रूप को दिखाया जिसको, वो तेरा हो गया ।
तेरे नाम का दिवाना, बावरा वो हो गया ॥
होश ही नहीं है उसकों, कहाँ ? किस ओर है ?
जा जा रे छलिया कान्हा तू बड़ा चोर है ॥
नजरों से लूटता और, बंशी की तान से ।
टेढ़ी-मेढ़ी चाल और, लूटे मुस्कान से ॥
लीला कथा से लूटा, कान्त विभोर है ।
जा जा रे छलिया कान्हा तू बड़ा चोर है ॥
भजन रचना एवं स्वर-संगीत :
दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।