धुन- इक परदेसी मेरा दिल ले गया
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ॥
मात, यशोद्धा, को यूँ बोला ।
सिल्वा दो, मुझको, इक झोला ।
मईया, ने दिया, हाथ में झोला ।
बोल, कन्हाई, काहे मन डोला ।
गइयाँ, चराने, मैं जाऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ॥
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा...
मधुवन में, पहुँच, गए नंद लाला ।
हाथ, में झंडी, कंबल काला ।
आज, कन्हईया, बन गए ग्वाला ।
मन में, हरशा, रहे गोपाला ।
राधा, तेरा दहियाँ, मैं खाऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ॥
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा...
मन, मनिहार, बने जब कान्हा ।
पहुँच, गए, मोहन बरसाना ।
छलिया, छल कर, गया दीवाना ।
राधा, ने, जाना पहचाना ।
राधा, तुझे चूड़ीयाँ, पहनाऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ॥
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा...
ग्वाल, बाल संग, चले कन्हाई ।
उधम, करन को, फ़ौज बनाई ।
छीके, छोड़, गुजरियाँ आई ।
पकड़े, गए जब, मार बड़ी खाई ।
चोरी चोरी, माखन तेरा, खाऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ॥
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा...
पन, घट पर, पहुंचे पनिहारी ।
रस्सी, बाल्टी, कुँए में डारी ।
छिप, कर बैठ, गए बनवारी,
भरी, गुलेल, बजरियाँ मारी ॥
राधा, तेरी मटकी, गिराऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ।
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा...
बाँट, मुरादें, मोहन रहा है ।
दर्श, करन को, व्याकुल मन है ।
प्रीत, करन की, लगी लग्न है ।
चरणों, में पड़ा, तेरा भक्त है ।
भक्तों की, बिगड़ी, बनाऊँगा जरूर,
धीरे धीरे, बाँसुरी, बजाऊँगा जरुर...हाँ... ॥
राधा, तेरी गलियों में, आऊँगा...
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल