हे श्याम तू जो रूठा मर ही जाऊगी,
तेरे दर की निकाली वो काहा जाऊगी,
मुझको अपनों लुटा गम की मैं सताई हु,
दुनिया से हारी श्यामा दर पे तेरे आई हु,
तुमने ठुकराया जो चौकठ पे प्राण दे दू गई,
हे मेरे श्याम तू जो रूठा मर ही जाऊगी,
छोड़ के मैं झूठी दुनिया शरण में तेरी आई हु,
हाले दिल कन्हैया मेरी तुमको अब सुनाती हु,
दिल की पड़ ले लिखा सब निगाहो पे,
हे मेरे श्याम तू जो रूठा मर ही जाऊगी,
दुनिया ने मारे ताने बोले मुझको पगली है,
श्याम की दीवानी आशा तेरी माला जप्ती है,
तू जो ना आया तो दम आज तोड़ जाऊगी,
हे श्याम तू जो रूठा मर ही जाऊगी,