नी मैं नाल श्याम दे लाईयां, अखियाँ रस भरीआं
किसे ने लाईआं भरी जवानी,
किसे ने लाईआं विच बुढ़ापे
नी मैं बचपन दे विच्च लाईआं, अखियाँ रस भरीआं...
किसे ने लाईआं जग तो चोरी,
किसे ने लाईआं माँ पेयां चोरी,
नी मैं शरेआम ही लाईआं, अखियाँ रस भरीआं...
किसे ने लाईआं भगवा पा के,
किसे ने लाईआं मुंदरा पा के,
नी मैं सत्संग दे विच्च लाईआं, अखियाँ रस भरीआं...
माँपे दुश्मन, सोहरे वैरी,
गल्लां करदे वारो वारि,
नी ओह नित्त उठ दें बुराईआं, अखियाँ रस भरीआं...
किसे ने ला के झूठ बोलिया,
किसे ने ना दिल दा भेत खोलिए,
नी मैं आपे ही देवां दुहाईआं, अखियाँ रस भरीआं...