फूलों में सज रहे हैं,अवध धाम के दुलारे
और साथ सज रही हैं,सीया मिथलैश दुलारी
फूलों में...
चुंन-चुंन के फुल जिसने,तेरे महल को है सजाया
उन हाथों पे मैं सदके,उन हाथों पे मैं वारी
फूलों में सज रहे हैं,अवध धाम के दुलारे
और साथ सज रही हैं,सीया मिथलैश दुलारी
फूलों में...
श्रृगांर तेरा प्यारे,शोभा कहुं मैं इसकी
इत है अवध दुलारा,उत मिथलैश दुलारी
फूलों में सज रहे हैं,अवध धाम के दुलारे
और साथ सज रही हैं,सीया मिथलैश दुलारी
फूलों में...
नीलम से सोहे रघुवर,स्वर्णं सी सोहे सीया जी
इत कौशल्या का प्यारा,उत है जनक दुलारी
फूलों में सज रहे हैं,अवध धाम के दुलारे
और साथ सज रही हैं,सीया मिथलैश दुलारी
फूलों में...
बईयां गले में डाले,जब दोनों मुस्कुराते
सबको ही प्यारे लगते,मामा के मन भाते
फूलों में सज रहे हैं,अवध धाम के दुलारे
और साथ सज रही हैं,सीया मिथलैश दुलारी
फूलों में...
रसिक पागल मामा पानीपत
संपर्कंसुत्र-9991515880