मेरा छोटा सा संसार, हरी आ जाओ एक बार ।
हरी आ जाओ, हरी आ जाओ ॥
योगी का भेस बना कर के,
इस तन पर भसम रमा कर के,
मैं अलख जगाऊं द्वार ।
हरी आ जाओ एक बार ॥
मधुबन की रंगीली कुंजन में,
तुन छिपना राधा के मन में,
यह पपीहा करे पुककर ।
हरी आ जाओ एक बार ॥
घनश्याम मुरारी मधुसुधन,
आओ आओ मेरे प्यारे मोहन,
यह दुखिया करे पुकार ।
हरी आ जाओ एक बार ॥