हार के जग से खाटु जो आया,
बाबा ने उस को गले से लगाया,
जब भी में भटका राहो से अपनी,
आगे चलकर रस्ता दिखाया,
साथ हु तेरे मत घबराना,
हार के जग से खाटु जो आया...........
चलते चलते गिर भी गया तो,
हाथ पकड़ कर मुझको उठाया,
बरसी है हम पर किरपा तुम्हारी
हार के जग से खाटु जो आया........
पहचान मेरी तुम से बनी है ,
संजू के जीवन की कली हर खिली है,
अहसान हम पर तेरा है भारी,
हार के जग से खाटु जो आया ,
बाबा ने उसको गले से लगाया
भजन लेखक एंव गायक:- संजू नादान (श्रीगंगानगर)