खाटू नगरी माहि महारे श्याम की कोठी,
सारी दुनिया जान गई है ऐकी सकलाई मोटी,
और नही ये कुछ खावे यो अभिमान को भोग लगावे,
ज्यादा उड़ने वाले ने पाताल लोक दिखावे,
ओ माहरे श्याम धनी ने नमन करावे कोटि कोटि,
सारी दुनिया जान गई है ऐकी सकलाई मोटी,
और बड़े संसार माहीं ताहरो एक सहारो,
रोम रोम में बस गयो हमारे खाटू के नजारों,
हो एह्के दर पे चमक रही है देखो किस्मत खोटी,
सारी दुनिया जान गई है ऐकी सकलाई मोटी,
मोटो है दरबार एको सेठ हमारो मोटो,
सांचे मन से जो कोई धावे कदे रवे न टोटो,
ओ ताहरी किरपा से खावे है श्याम दाल रोटी,
सारी दुनिया जान गई है ऐकी सकलाई मोटी,