मुसाफिर जागते रहना

मुसाफिर जागते रहना नगर में चोर आते हैं,

संभालो माल अपने को बांधकर धर सिरहाने में,
जरा सी नींद गफलत में झपट गठरी उठाते हैं,
मुसाफिर जागते रहना.............

कपट का है यहां चलना सभी व्यापार दिनराती,
दिखाकर सूरते सुंदर जाल में यह फसाते हैं,
मुसाफिर जागते रहना ................

कभी किसी का नहीं करना भरोसा इस जमाने में,
लगाकर प्रीत मतलब से हर पल में हटाते हैं,
मुसाफिर जागते रहना..................

ठिकाना है नहीं करना किसी का इस सराय में,
वो ब्रह्मा नन्द दिन दिन मे सभी चल चल कर जाते,
हैं मुसाफिर जागते रहना.........
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