नील गंगन तक जिसका झंडा लहर लहर लहरता है,
झंडे वाली माता है वो झंदेवाली माता है,
इस झंडे को चाँद सितारे झुक झुक करते नमन है सारे,
बोल बोल के माँ के जयकारे,
सूरज भी पूरब से उठ कर जिसको शीश झुकता है,
झंडे वाली माता है वो .......
ठंडी शीतल मस्त हवाए माँ के झंडे को लहराए,
महिमा गाती चारो दिशाए,
शाम सवेरे इन्दर देव भी आरती जिसकी गाता है,
झंडे वाली माता है वो.......
बढ़ा विष्णु और त्रिपुरारी इस झंडे के बने है पुजारी,
पूजा करते बारी बारी,ये झंडा मजबूर ख़ुशी के फूल बरसता है,
झंडे वाली माता है वो .......