नर की शोभा हैं नारी

नर की शोभा हैं नारी,
नारी से दुनिया हारी,
नारी से देवता हारे ब्रह्मा विष्णु त्रिपुरारी,
नारी से हारे दानव नारी को हारे पांडव,
हारे यमराज नारी से नारी ना हारी,
नर की शोभा हैं नारी...

नारी ने नारी को चदा कर राम को वन भिजवाया,
उसको जरा तरस ना आया,
एक नारी ने चोदा वर्ष तक पति का साथ निभाया,
एक ने पानी पिया न कुछ खाया,
नारी नर से बड़ी नारी हरी से लड़ी,
नारी से हारे नारद नारी न हारी,
नर की शोभा हैं नारी...

नारी ने इतना समजाया नारी की ना मानी,
था वो कौन पुरष अभिमानी,
नारी की यो बात न माना की उसने मन मानी,
उसने बैर राम से ठानी,
पुत्र मर वा दिए भाई मिट वा दिए,
नारी की खातिर वो जल गई लंका वो सारी,
नर की शोभा हैं नारी.....

नारी की जो कदर न करता वो नर नर नरक में जाता नारी घर की लक्ष्मी माता,
नारी का अपमान जो करता सुख वो कभी ना पाता,
नारी बेटी बेहन है माता नारी ममता मई ,
राही लिखते सही नारी की पूजा करती दुनिया ये सारी,
नर की शोभा हैं नारी
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