नैया चलाती हु मैं बिगड़ी बनाती हु,
अपने भगतो का मैं बेडा पार लगाती हु,
शरण जो मेरी आ कर के भरोसा जो मुझपर है करता,
भगत्त जो है मेरा होता मेरी नजरो में वो रहता,
नैया चलाती हु मैं बिगड़ी बनाती हु,
अपने भगतो का मैं बेडा पार लगाती हु,
अगर तूफ़ान आता है नाव हिचकोले खाती है,
नाव डुभे भला कैसे चुनर मेरी लहराती है,
नैया चलाती हु मैं बिगड़ी बनाती हु,
अपने भगतो का मैं बेडा पार लगाती हु,
रखता हु ध्यान मैं इतना भगत तो सोता रहता है,
भगत कुछ भी नहीं करता काम सब होता रहता है,
नैया चलाती हु मैं बिगड़ी बनाती हु,
अपने भगतो का मैं बेडा पार लगाती हु,
यही ईशा है बनवारी यही दरबर में बैठु,
भगत की नाव में बैठु भगत के साथ में बैठु,
नैया चलाती हु मैं बिगड़ी बनाती हु,
अपने भगतो का मैं बेडा पार लगाती हु,