मैं हु शरण में तेरी संसार के रचिया,
कश्ती मेरी लगा दो उस पार ओ कन्हिया,
मेरी अरदास सुन ली जिए,
प्रभु सुखवन कर लीजिये
दर्श एक बार तो दिज्ये,
मैं समजू गा श्याम रीजे,
पतवार थाम लो तुम मझदार में है नैया,
मैं हु शरण में तेरी संसार के रचिया
भगत है बेचैन तुम बिन,
तरस ते नैन है तुम बिन,
अँधेरी रेन है तुम बिन,
कही न चैन है तुम बिन,
है उदास तुम बिन गोपी ग्वाल गैया,
मैं हु शरण में तेरी संसार के रचिया