दुष्टों का करने को संगार माँ चंडी रूप लिया,
भक्तो के भरने को भंडार माँ मनसा रूप लिया,
चंडी बन चंड मुंड को मारा मनसा बन भगतो को तारा,
धाम दोनों का हरिद्वार यही अवतार लिया,
दुष्टों का करने को संगार......
शुम्ब निशुमब चंडी ने मारे,मनसा ने भगत पार उतारे,
बेडा लगया सबका पार,है भव से पार किया,
दुष्टों का करने को संगार.....
महिषा सुर जब पाप बढाया,
माँ चंडी ने मार गिरया,
उतरा माँ धरती का भार हर पापी मार दिया,
दुष्टों का करने को संगार.......
मनसा पूरी मनसा करती खाली झोली सबकी भरती,
प्रेम से बोलो जय जय कार सभी को दरस दिया,
दुष्टों का करने को संगार.....